रविवार, 16 सितंबर 2007

जीवन

मैंने जीवन को समझ लिया ,
 यह चलती -फिरती छाया है।
जो मिला हमें वह अपना है ,
 जो नही मिल तो माया है।
 है कौन जान सका हमको ,
 वह भी तो नहीं जो साया है।[साया- जीवन साथी ]
हैं बहुत अपेक्षा जीवन से ,
 बस थोडा अब तक पाया है।

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